(16/11/11)(Tehelkanews)
दुनिया भर में हॉट फैशन सिंबल के तौर पर मशहूर हो चुका महिलाओं का अंतः वस्त्र \'ब्रा\' 21 सदी की देन नहीं है। चौंक गए ना आप ? जी हां यह सोलह आने सच है,हमारे देश भारत में महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले अंतः वस्त्र \'ब्रा\' के साक्ष्य पहली शताब्दी में राजा हर्षवर्धन के साम्राज्य(कश्मीर)में मिलते हैं।
आपको बता दें कि पहली शताब्दी में भारत में महिलाओं द्वारा आधे बाजू की तंग चोली \'कंचुका\' पहनने का चलन था। इस बात के साक्ष्य पहली शताब्दी के साहित्य में भी मिलते हैं।वहीं इतिहास(बसवापुराण)में इस बात के भी पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि 1237 एडी तक युवा लड़कियों में भी \'कंचुका\' का चलन बढ़ गया था।
भारत में महिलाओं के अंतः वस्त्र का इतिहास यहीं समाप्त नहीं होता बल्कि सोमनाथचरित्र में तो एक वृद्ध वेश्या का वर्णन करते हुए यहां तक बताया गया है कि कैसे वह अपने वक्षों के लिए एक विशेष ब्लाउज(ब्रा)का इस्तेमाल करती थी। आज भले ही पूरे विश्व में हॉट ड्रेसिंग के तौर पर देखे जाने वाले अंतःवस्त्र असल में हमारे देश में कई सौ साल पहले से ना सिर्फ प्रचलित थे बल्कि महिलाओं के बीच भी इनका खासा आकर्षण था।
बात यहीं खत्म नहीं होती, भारत के प्रख्यात कवि हरिहर ने भी ऐसे सफेद तंग पहनावे(बिगीडूडीसी) का वर्णन किया है जिसके ऊपर स्वर्ण से कढा गया शॉल पहना जाता था। आपको बताते चलें कि विजयनगर साम्राज्य के दौरान सिले हुए ब्रा और अन्य कसे हुए तंग कपड़ों का खासा चलन था| (साभार डॉक्टर ज्योत्स्ना कामत/के एल कामत )
तस्वीरों में देखें प्राचीन भारत में पहने जाने वाले अंतः वस्त्र ..
News From: http://www.7StarNews.com
Wednesday, November 16, 2011
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