नई दिल्ली.-01-12-2011-(प,प)
2जी घोटाले में आरोपी डीएमके सांसद कनिमोझी को जमानत मिल गई है। कनिमोझी करीब सात महीने तक तिहाड़ जेल में रहीं लेकिन इस दौरान शायद ही कभी उन्होंने आपा खोया। जेल अधिकारियों के मुताबिक वह आदर्श कैदी की तरह जेल में रहीं और उन्होंने नियम-कायदों का बखूबी पालन किया।
पिछले महीने जब उन्हें अदालत ने बेल देने से इनकार कर दिया था और इसके बाद अपने पिता करुणानिधि और बेटे से जेल में मिलीं तो उनके आंखों से आंसू छलक पड़े। बीते 3 नवंबर को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने कनिमोझी की जमानत अर्जी खारिज कर दी तब वह फूट-फूटकर रोईं और अपनी मां रजति अम्मल से लिपट गईं। लेकिन जल्द ही कनिमोझी ने अपने भावनाओं पर काबू पा लिया। उनका आध्यात्म की ओर झुकाव हुआ, अखबार पढ़ती रहीं और टीवी देखकर खुद को व्यस्त रखा।
जेल के एक अधिकारी ने बताया, 'हमें कनिमोझी के वीआईपी स्टेटस से कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। वह हाई प्रोफाइल कैदियों में सबसे आज्ञाकारी थीं।' जेल के अधिकारियों के मुताबिक ध्यान करने के बाद कनिमोझी आत्म अवलोकन करती थीं। कनिमोझी योग-ध्यान का पाठ जेल परिसर में स्थित सबसे बड़े एनजीओ दिव्य ज्योति जागृति संगठन से सीखती थीं। यह एनजीओ जेल परिसर के भीतर कैदियों के लिए पुनर्वास और सुधार के कार्यक्रम संचालित करता है।
डीएमके सांसद बीते 20 मई से तिहाड़ के जेल नंबर 6 में बंद थीं। एनजीओ के कैदियों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के प्रति कनिमोझी बेहद दिलचस्पी रखती थीं। जेल में अपने शुरुआती दिनों के दौरान कनिमोझी ने मोमबत्ती बनाने के गुर सीखे। इस दौरान डीएमके सांसद बेहद शांत रहती थीं। वह जेल में उन जगहों पर भी घूमती थीं जहां कैदी बर्तन बनाने, कपड़े सिलने आदि का काम करते थे। मोमबती बनाने की यूनिट जेल नंबर 6 में है जहां महिला कैदी बंद करती हैं। ये मोमबत्तियां कैदियों द्वारा बनाई जाती है और तिहाड़ जेल के उत्पादों का लेबल लगाकर बेजा जाता है। जेल अधिकारियों के मुताबिक कनिमोझी को कई बार किताबें पढ़ने में मशगूल देखा गया। वह जेल स्थित लाइब्रेरी में अक्सर जाती थीं।
News From: http://www.7StarNews.com
Thursday, December 1, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment