Saturday, December 3, 2011

भोपाल गैस कांड पीडि़तों ने मांगा मुआवजा, तो मिलीं लाठियां

भोपाल.-03-12-2011-(प,प)

भोपाल गैस कांड की 27वीं बरसी पर आज यहां पीडि़तों का प्रदर्शन जारी है। गैस पीडि़त संघों ने शनिवार सुबह से मुआवजे की मांग को लेकर रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया। महिला-बच्चे भी इस आंदोलन में कूद पड़े हैं। बरखेड़ी रेलवे लाइन पर बैठे गैस पीडि़तों में से जब पुलिस ने महिलाओं को हटाना चाहा तो वे टस से मस नहीं हुईं। पुलिस ने महिलाओं को हाथ पकड़कर जबरदस्ती हटाने की कोशिश की तो पुलिस पर पथराव होने लगा।

पुलिस और गैस पीडि़तों के बीच चल रहे संघर्ष में एक महिला का सिर फट गया है और दो पुलिस जवान भी घायल हुए हैं। पुलिस लाठीचार्ज से उग्र गैस पीडि़तों ने कुछ वाहनों को आग लगा दी है। स्थिति बेकाबू हो गई है। लाठीचार्ज में घायलों को अस्पताल ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है।

मौके पर मौजूद हमारे संवाददाता के मुताबिक अफरा-तफरी का माहौल है। हालांकि पुलिस इंतजाम पुख्ता हैं। अश्रु गैस के गोले, लाठियों और हथियारों से लैस पुलिस जवान स्थिति से निपटने को तैयार हैं। लेकिन गैस पीडि़तों में काफी आक्रोश है। आंदोलनरत महिलाओं में से एक रहीशा बी ने बताया कि उनका भाई गैस पीडि़त था। उसके तीन बच्चे हैं, अब उन बच्चों का पालन-पोषण कौन करेगा? रहीशा ने कहा, 'सरकार सुन नहीं रही है। हमें जब तक मुआवजा नहीं मिल जाता हम चुप नहीं बैठेंगे।' पुलिस की कमान संभाल रहे अधिकारी का कहना है कि हम चाहते हैं कि महिलाओं और बच्चों को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचे, इस लिए हम उन्हें रेलवे पटरी से हटाना चाहते हैं।

लाठीचार्ज के बाद 6 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। रेल प्रशासन के अनुसार दुर्ग-भोपाल अमरकंटक एक्सप्रेस को हबीबगंज स्टेशन पर रोका गया है। इंदौर-भोपाल इंटरसिटी एक्सप्रेस को भोपाल स्टेशन से पहले ही रोक दिया गया है। कुछ ट्रेनों को विदिशा स्टेशन पर रोका गया है।

इस आंदोलन के दौरान हुए लाठीचार्ज से स्थिति बिगड़ गई है। कई ट्रेनें लेट होने की भी संभावना है। दिल्ली से आने वाली अमृतसर-दादर पठानकोट एक्सप्रेस 45 मिनट और कुशीनगर एक्सप्रेस को 40 मिनट लेट ही चलाया जा रहा था लेकिन स्थिति बिगडऩे से इन ट्रेनों के और लेट होने की आशंका जताई जा रही है।

ठीक 27 वर्ष पहले दो-तीन दिसम्बर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस रिसी थी। काल बनकर आई गैस ने हजारों लोगों को लील लिया था और लाखों लोगों को तिल तिल कर मरने के लिए छोड़ दिया था। सरकारों ने वादे तो किए मगर पीड़ितों के हाथ ज्यादा कुछ नही आया। उनमें आज भी गुस्सा है।










News From: http://www.7StarNews.com

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