Friday, November 18, 2011

वीडियो-आलिया ने फेसबुक पर तो मणिपुर में महिलाओं ने किया था नग्न प्रदर्शन

नई दिल्ल,(18/11/11)(Tehelkanews)

मिस्त्र की एक ब्लॉगर आलिया माग्दा ने महिलाओं के खिलाफ सख्ती का विरोध करते हुए अपनी न्यूड तस्वीरें ब्लॉग पर प्रकाशित कर देने के बाद ट्विटर पर बहस छिड़ गई है।



आलिया ने अपनी आठ नग्न तस्वीरें ब्लॉग पर प्रकाशित की है। इस ब्लॉगर की न्यूड तस्वीरें ट्विटर पर आते ही विश्व भर से लोग अपनी प्रतिक्रियाएं देने लगे।



आलिया का कहना है कि वो यह तस्वीरें एक हिंसक,जातिवादी, सेक्स अपराधों से त्रस्त,महिलाओं पर जुल्म करने वाले समाज के खिलाफ आवाज उठाने के लिए पोस्ट कर रही है।







आलिया ने जिस मुद्दे को लेकर विरोध स्वरुप जो कार्य किया है उससे बरबस ही 2004 में मणिपुर में करीब चालीस महिलाओं द्वारा एक महिला को हिरासत में अर्द्धसैनिक असम राइफल्स के सैनिकों द्वारा लिए जाने के महज कुछ ही घंटों के बाद गोलियों से चलनी शव बरामद होने के बाद,निर्वस्त्र हो कर प्रदर्शन किए जाने की याद ताजा हो जाती है ।



इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक,32 वर्षीय थांग जाम मनोरमा नाम की इस महिला को असम राइफल्स के सैनिकों द्वारा अलगाववादी विद्रोहियों से सम्बन्ध होने के आरोप में कथित तौर पर उठा लिया था। इसके कुछ ही घन्टों के बाद राजधानी इम्फाल में स्थित मनोरमा के घर से 4 किलोमीटर दूर उसकी लाश पाई गई थी।



इस घटना के दूसरे दिन बाद कई महिला समूहों ने इस घटना के विरोध में 48 घंटे का आम हड़ताल की घोषणा की। इस आम हड़ताल के कारण दो दिनों तक पूरे मणिपुर में आम जनजीवन ठप्प हो गया था। प्रदर्शन के दौरान सैंकड़ों महिलाएं इम्फाल के असम राइफल्स के मुख्यालय में घुस गई और करीब 40 महिलाओं ने हांथों में तख्तियां ले नग्न होकर परेड किया। इन तख्तियों पर लिखा था \"भारतीय सेना हमारा बलात्कार करे और सेना हमारा शरीर ले ले\'.



प्रदर्शन के आगे झुकते हुए असम राइफल्स ने इलाके से कई सैनिकों को हटा लिया और घटना के जांच के आदेश देने पड़े। इस अभूतपूर्व प्रदर्शन की पूरे भारत समेत विश्व में चर्चा हुई। प्रदर्शन का व्यापक असर हुआ और राजनीतिक पार्टियां समेत कई संगठनों ने भारत के कुछ हिस्सों में लागू सशस्त्र बल विशेसधिकार अधिनियम को हटाए जाने की पुरजोर वकालत की गई। हालांकि सरकार ने इस मांग को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि इस कानून को हटा दिए जाने के बाद अलगावादियों कि गतिविधियों में बढ़ोतरी हो सकती है और राज्य का अमन चैन फिर से बिगड़ सकता है ।



वर्तामान में भी इस कानून को जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों से हटाए जाने की मांग वहां के मुख्यमंत्री कर रहे हैं।


News From: http://www.7StarNews.com

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