नई दिल्ली,(02/11/11)(Tehelkanews)
चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने तैयारी तेज कर दी है। सीमा के पास चीनी सैनिकों की बढ़ती तैनाती के खतरों से निपटने के लिए भारत ने भी सीमा पर सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की नीति बनाई है। अगले पांच साल में चीन से लगती सीमा पर करीब एक लाख सैनिकों की तैनाती होगी।
रक्षा मंत्रालय ने सेना के आधुनिकीकरण के लिए 64 हजार करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। इस रकम से सेना की चार नई डिवीजन बनाई जाएगी। इन्हें भारत-चीन सीमा पर तैनात किया जाएगा। इन डिवीजन में से दो माउंटेन स्ट्राइक कोर होगी, जो विशेष आक्रामक सैन्य अभियान में खास तौर से माहिर होगी। सरकार की सेना की एक-एक स्वतंत्र टुकड़ी लद्दाख और उत्तराखंड में भी तैनात करने की योजना है।
सरकार की यह योजना सार्वजनिक होने के बाद यह सैन्य आधुनिकीकरण की सबसे बड़ी योजना होगी। साथ ही, 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद यह चीन से लगती सीमा पर सबसे बड़ी तैनाती भी होगी।
चीन से निपटने के और भी उपाय कर रहा भारत
भारत-चीन की सीमा पर पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए मानव रहित विमान और हल्के हेलीकॉप्टर तैनात करने की भी योजना है। दिसंबर में 5000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण की योजना है, जिसकी जद में चीन के कई इलाके आएंगे। भारत ने ईस्टर्न कमांड के अंतर्गत अंडमान द्वीप में \'वारफेयर हब\' बनाने की तैयारी भी की है। यह चीन की हिंद महासागर में मौजूदगी का जवाब देने के लिए है। इसमें देश की सभी सुरक्षा, खुफिया और रिसर्च एजेंसियां शामिल होंगी। चीन बर्मा के कोको आइलैंड पर मिलिट्री खुफिया केंद्र बनाने की योजना है। इसके जवाब में भारत के विशेष टास्क फोर्स ने बड़े पैमाने पर रणनीति तैयार की है।
सेना पहाड़ों पर युद्ध करने में दक्ष सैनिकों की इस इलाके में तैनाती की योजना भी बना रही है। सेना ने हाल ही में सैनिकों की दो डिवीजन बनाई हैं। इन दो डिवीजनों में कुल 1260 अफसर और 35,011 जवान हैं। नागालैंड के जकामा में 56 डिवीजन और असम के मिसामारी में 71वीं डिवीजन का मुख्यालय है। चीन 4,057 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर, अपनी तरफ के क्षेत्र में करीब दो दशकों से सैन्य व्यवस्थाओं में लगातार इजाफा कर रहा है। भारतीय वायुसेना भी ईस्टर्न सेक्टर में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स (एएलजी) 6 स्थानों पर अपग्रेड कर रहा है। वायु सेना ने 6200 करोड़ मूल्य के आठ आकाश स्क्वाड्रन के आर्डर दिए हैं और इनमें से 6 उत्तर-पूर्वी सीमा पर तैनात किए जाने हैं।
अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की तैनाती को भी हरी झंडी दे दी गई है। जानकारों के मुताबिक यह चीन के खिलाफ भारत की पहली बड़ी आक्रामक, रणनीतिक तैनाती होगी।
यही नहीं, चीन और पाकिस्तान से लगातार बढ़ रहे खतरे के मद्देनजर भारतीय सेना अपनी तैयारियों में आमूल चूल बदलाव करने जा रही है। इसकी शुरुआत इस महीने राजस्थान में शुरू हो रहे एक अभ्यास से हो रही है। ग्रैंड स्ट्राइक कॉर्प्स (जीएससी) का यह अभ्यास सफल रहा तो भारतीय सेना के ढांचे और तैनाती रणनीति में अहम बदलाव आ जाएगा। इस अभ्यास का नाम \'सुदर्शन शक्ति\' दिया गया है। इसकी अगुवाई तो सेना की 21वीं कोर के जिम्मे रहेगी, लेकिन इसमें वायु सेना और नौसेना की भी भागीदारी होगी। सेना के कई बड़े जनरल ने अध्ययन के बाद बदलाव का जो खाका तैयार किया है, उस पर अमल \'सुदर्शन शक्ति\' से मिले नतीजों पर ही निर्भर करेगा। अभ्यास सफल रहा तो सेना के कमांड सिस्टम और मुख्यालय तक के ढांचे में अहम बदलाव किए जाएंगे।
News From: http://www.7StarNews.com
Wednesday, November 2, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment