नई दिल्ली,(28/10/11)(Tehelkanews)
दैनिकभास्कर.कॉम के ज्यादातर पाठकों ने इस बार बताया था कि वे दिवाली पर पटाखे नहीं चलाएंगे। इसका असर दिखा और इस बार दिवाली के बाद हवा में जहर की मात्रा अपेक्षाकृत कम रही।दैनिकभास्कर.कॉम ने दिवाली से पहले अपने पाठकों से पूछा था कि क्या वे इस बार पटाखे चलाएंगे? 81 फीसदी पाठकों ने जवाब \'नहीं\' में दिया था। पोल में शामिल 23 फीसदी पाठकों ने कहा था कि वे महंगाई के चलते पटाखे नहीं चलाएंगे, जबकि 59 फीसदी ने प्रदूषण का हवाला देकर पटाखों से तौबा कर लिया था। पटाखे चलाने की बात केवल 19 फीसदी पाठकों ने की। छह फीसदी लोगों ने पिछले साल से कम आतिशबाजी करने की बात कही थी, जबकि 13 फीसदी का मानना था कि परंपरा के चलते आतिशबाजी करना जरूरी है। इस पोल में करीब 12 हजार पाठकों ने हिस्सा लिया।
पोल के नतीजों से जो रुझान मिले, उसकी पुष्टि बाद में सरकारी आंकड़ों से भी हुई। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक पिछले साल 800 दुकानों को पटाखे बेचने के लाइसेंस दिए गए थे जबकि इस बार करीब 650 दुकानों को ही लाइसेंस मिला। इसके लिए इस बार पिछले साल की तुलना में काफी कम आवेदन आए थे। उनके मुताबिक देश में पटाखे बनाने के लिए मशहूर तमिलनाडु के शिवकाशी में उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के चलते पटाखों के दाम भी इस साल पिछले साल की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा थे।
कम आतिशबाजी के चलते प्रदूषण भी कम रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस बार दिवाली के मौके पर कम वायु प्रदूषण हुआ है। इस बार दिवाली के दिन साल 2010 की तुलना में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार जहरीली गैसों की मात्रा 15 से 80 फीसदी तक कम रही। कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के अलावा हवा में घुलनशील तत्व वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। सीपीसीबी ने ये आंकड़े 26 अक्टूबर की सुबह छह बजे से 27 अक्टूबर की सुबह तक हवा में घुले तत्वों के नमूनों के आधार पर तैयार किए हैं।
हालांकि इस बार ध्वनि प्रदूषण कम नहीं हुआ है। सीपीसीबी की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में पिछले साल दिवाली के मौके पर शोर का स्तर 85 डेसिबल था जो इस बार बढ़कर 91 डेसिबल तक पहुंच गया।
दिल्ली सरकार ने इस बार 'दिल से दिवाली' अभियान शुरू किया था। इसके तहत राजधानीवासियों से आतिशबाजी नहीं करने की अपील की गई थी। पर्यावरण सचिव केशव चंद्र ने बताया कि दिल्ली में पटाखों के खिलाफ जारी अभियान से वायु प्रदूषण में कमी दर्ज की गई है। आम दिनों की तुलना में दिवाली के मौके पर वायु और ध्वनि प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इससे कैंसर सहित फेफड़े की कई बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।
उधर, बेंगलुरु में मंगलवार को 19.4 मिलीमीटर बारिश के चलते सामान्य दिनों की तुलना में वायु प्रदूषण का स्तर 15 से 28 फीसदी कम रिकॉर्ड किया था। कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) ने इस सिलसिले में आंकड़े जारी किए। बीते मंगलवार को यहां छोटी दिवाली मनाई गई थी।
भारत में एक अनुमान के मुताबिक हर साल 250 करोड़ रुपये कीमत के पटाखे बनाए जाते हैं। तमिलनाडु का शिवकाशी पटाखा निर्माण का बड़ा केंद्र है। भारत में खपत होने वाला 90 फीसदी पटाखा यहीं से सप्लाई किया जाता है। शिवकाशी में पटाखा बनाने का उद्योग करीब 2,500 करोड़ का है, जिसमें 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। शिवकाशी में माचिस बनाने के भी कारखाने हैं। भारत में खपत होने वाली माचिस का 80 फीसदी हिस्सा शिवकाशी से ही निर्यात होता है। शिवकाशी ऑफसेट प्रिंटिंग का भी बड़ा केंद्र है। ऑफसेट प्रिंटिंग कारोबार का 70 फीसदी काम शिवकाशी में होता है।
News From: http://www.7StarNews.com
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