वाशिंगटन,29/10/11 (प,प)
भारतीय मूल के 63 वर्षीय सिख त्रिलोचन सिंह ओबरॉय छह साल बाद अपने सम्मान की जंग जीत गए। उन्हें अमेरिका में इसलिए नौकरी नहीं दी गई थी, क्योंकि उन्होंने अपनी दाढ़ी कटवाने से इनकार कर दिया था। कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ करेक्शन एंड रिहेबिलिटेशन (सीडीसीआर) अब त्रिलोचन सिंह को एक नवंबर से करेक्शनल ऑफिसर्स के पद पर नियुक्ति के साथ २.९५ लाख डॉलर का मुआवजा देगा।
दो साल चक्कर काटे, फिर दायर की याचिका
भारतीय नौसेना से रिटायर्ड त्रिलोचन सिंह ने 2005 में करेक्शनल ऑफिसर्स के पद के लिए आवदेन किया था। उन्होंने सभी टेस्ट पास किए, लेकिन सिलेक्शन बोर्ड ने उनके सामने शर्त रखी कि उन्हें दाढ़ी कटवानी होगी। त्रिलोचन ने तर्क दिया कि उनका धर्म ऐसा करने की इजाजत नहीं देता। इसके बाद सिलेक्शन बोर्ड ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। दो साल तक सीडीसीआर के चक्कर काटने के बाद त्रिलोचन सिंह ने कैलिफोर्निया स्टेट पर्सनल बोर्ड में याचिका दायर की।
नौकरी न देना बड़ी गलती
- बोर्ड ने माना कि त्रिलोचन सिंह को नौकरी न देना सीडीसीआर की बड़ी गलती है।
- किसी भी व्यक्ति को उसके धार्मिक प्रतीकों का सम्मान करने से रोकना गलत है।
- ऐसे में त्रिलोचन सिंह को सम्मानपूर्वक नौकरी पर रखा जाए।
- इन ६ वर्षो में हुए नुकसान की भरपाई के लिए २.९५ लाख डॉलर का मुआवजा दिया जाए।
'छह साल बाद ही सही हक तो मिला'
पर्सोनल में त्रिलोचन सिंह का केस लड़ने वाली सेन फ्रांसिसको अटॉर्नी हरमीत कौर ढिल्लों ने कहा कि छह साल बाद ही सही, त्रिलोचन को उनका हक मिला है। उन्होंने कहा ९/११ के बाद से अमेरिकी सरकार के कुछ विभागों में एशियाई मूल के लोगों के लिए नियम काफी कड़े कर दिए हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे इन्हें बदला जा रहा है।
News From: http://www.7StarNews.com
Saturday, October 29, 2011
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