Monday, November 15, 2010

Dunno Y...ना जाने क्यूं -पुरुष समलैंगिता

मशहूर हॉलीवुड फिल्म ब्रॉकबैक माउंटेन की तर्ज पर बनी \'Dunno Y...ना जाने क्यूं\' इंडिया की ब्रॉकबैक माउंटेन बन सकती थी। लेकिन बदकिस्मती से \'Dunno Y...ना जाने क्यूं\' को एक फिल्म कहना मानो सच्चाइयों से भागना होगा। इतनी बकवास फिल्म आपने शायद ही इससे पहले कभी देखी होगी। एक गे लव स्टोरी के आइडिया के साथ डायरेक्टर संजय शर्मा ने अच्छे खासे आर्टिस्ट को लेकर जैसे जीनत अमान, हेलेन, रितुपोर्ना सेनगुप्ता, आशा सचदेव और परिक्षित साहनी को कास्ट किया है।



पर्दे पर दो पुरुषों का एक-दूसरे के प्रति आकर्षण, प्रेम और फिर शारीरिक संबंध..पढ़ने में अजीब लग सकता है, पर संजय शर्मा की फिल्म डोन नो वाय.ना जाने क्यों फिल्म का विषय यही है। भारत में पुरुष समलैंगिता एक संवेदनशील विषय है। बढि़या एवं स्वीकार्य फिल्म के लिए यह विषय एक अच्छी कहानी, कसी पटकथा और मंझे निर्देशक की मांग करती है।



डोन नो वाय.ना जाने क्यों मुंबई के एक एंग्लो इंडियन परिवार की कहानी है। इस परिवार में तीन पीढि़यां साथ रहती हैं। हेलेन ने फिल्म में दादी की भूमिका निभाई है। जीनत अमान उनकी बहू हैं, जिनका पति उन्हें छोड़कर चला गया है। अपने दो बेटों, एक बेटी की परवरिश के लिए जीनत अपने बॉस के साथ मजबूरन संबंध रखती हैं। बड़ा बेटा गे है, लेकिन परिवार और समाज के डर से वह शादी कर चुका है।



डोन नो वाय.के अस्सी प्रतिशत संवाद अंग्रेजी में हैं। लगता नहीं कि संजय शर्मा ने भारतीय दर्शकों के लिए फिल्म बनाई है। हर पात्र की कहानी कहने के चक्कर में फिल्म बोझिल बन गई है। जीनत अमान का अभिनय कृत्रिम लगता है। कबीर बेदी और हेलेन ने फिल्म में काम करने के लिए हां क्यों कहा?


News From: http://www.s7News.com

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